Saturday, December 5, 2009

अनकही.

एक अनकही कहानी,
कह रही आँखों की जुबानी ।
वो बिटिया एक गरीब किसान की ,
सुंदर सलोनी सुहानी।
उसकी आँखों में नही है सपने,
पिता की मजबूरी की कसक है,
कैसी होगी ज़िन्दगी उसकी ,
तलाशती निगाहों की भरी पलक है।
तन पे लज्जा वस्त्र नही पूरा,
छीन गया है दाना-पानी ।
अक्षरों का ज्ञान उसे नही है,
प्रतिभा का भान उसे नही है।
उसे तो बस बेलनी है रोटियां।
निज गरिमा का अभिमान उसे नही है।
क्या कोई सुन सकेगा,
उसकी ये अनकही कहानी,
क्या कोई उसे दे सकेगा ,
सपने आसमानी।
ये बिटिया ही सहचरी बनती है,
माँ बन पुरूष का पालन करती है।
अपनी हर भूमिका में यह बिटिया,
खरी उतरती है।
क्या कभी बदलेगी ,
इसकी ये अनकही कहानी,
ये आँखों की वीरानी ...

Wednesday, November 4, 2009

पुकार.

मै प्रभंजन में भी,ले खड़ी हु एक दिया,
विश्वास की बाती है,
स्नेह सिक्त है यह छोटा सा दिया,
घोर अंधेरे मे भी बिखर रहा है,
इसका मद्धम उजास।
इस पथपर भी आएगा पथिक कोई,
ऐसी है मन मे आस ,
आज गूंजता आर्तनाद है,
सुनाई पड़ती है मानवता की चीत्कार।
फ़िर भी आशा की लौ कह रही ,
सुनी जायेगी हमारी पुकार.

Saturday, May 30, 2009

मुसाफिर.

मुसाफिर का सवाल है,
मंजिल कब मय्यसर होगी?
पर सवाल करने का ,
हक़ तुझे नही,ऐ मुसाफिर।
चलते-चलते बीतेगी जिंदगानी,
या फ़िर मंजिल तेरे नज़र होगी।
तू हौसला अपना बुलंद रखना,
सोच समझ कर राह पर कदम धरना
झुकेगी एक दिन खुदाई ,
इस रात की भी एक सहर होगी।
कोई फूलों को चूम कर इठला रहा है,
कोई कांटे चुभे ज़ख्म सहला रहा है।
पोंछ के अश्क तू देख,
कल तेरी किस्मत आज से बेहतर होगी.

Sunday, May 3, 2009

चिंतन.

वेदों की वाणी में,पुराणों की कहानी में ,
स्मृतियों के विधानों में,शास्त्रों के समाधानों में,
बसता रहा है , मेरे भारत का चिंतन।
ऋषियों के तप में,मुनियों के जप में,
क्षत्रियों के बल में,गंगा के पवित्र जल में ,
बहता रहा है मेरे भारत का चिंतन।
ब्राह्मणों के स्वाभिमान में,यशश्वी नृपों के दान में,
सती नारियों के मान में,देश-भक्ति के अभिमान में,
रमता रहा है , मेरे भारत का चिंतन।
काल के प्रवाह में,प्रगति की राह में,
सत्ता की चाह में ,स्वजनों की पनाह में,
क्यों दूषित हो रहा है,मेरे भारत का चिंतन।
हम युग सृष्टा है,भविष्य दृष्टा है,
हम बदलेंगे भारत का चिंतन,
फिर नव प्रभात होगा,भारत का भाग्य भास्कर फिर चमकेगा,
फिर से समृधि की लहर उठेगी,
हर्ष,उत्साह से भर उठेगा हर एक मन,
फिर मुस्कुराएगा मेरे भारत का चिंतन.

Wednesday, February 18, 2009

तलाश.

ना जाने किस रोशनी की तलाश है,
जीवन के अंधेरे रास्तों में भटक कर ,
खो चुके जो अपना वजूद,
उन्हें फिर अपनी तलाश है।
मै नही,मेरा नही,ये जग है झूठा फ़साना,
कौन दोहरा रहा है इसे,
किसे नई कहानी की तलाश है।
बनते बिगड़ते सपनों के साए,
उनमे बिखरती गई जवानी,
सपनों के इस खोये जाल में
एक नई जिंदगानी की तलाश है,
ना जाने किस रोशनी की तलाश है....

Sunday, February 1, 2009

basant

शीत की शिथिलता का हुआ अंत,
नव चेतना की अलख जगाता आया बसंत।
नव-निर्माण की आशाएं ,बदल रही प्राचीन परिभाषाएं ,
जाग रही हैं मन में अभिनव अभिलाषाएं।
भाग्य भास्कर उदित हो कर ,
करेगा राष्ट्र-नभ को ओजवंत,
नव चेतना की अलख जगाता आया बसंत।
सृजन है शिव-शक्ति का प्रणय राग,
समाहित है इसमे सरस्वती का विराग।
ज्ञान सम्मत सृष्टि ही ,
है अनादी-है अनंत।
नव चेतना की अलख जगाता आया बसंत.

Wednesday, January 28, 2009

शाश्वत मूल्य

मुझे शाश्वत मूल्यों की तलाश है
धर्म-मोक्ष की धरा पर आज अर्थ काम का प्राबल्य है,
शील-संस्कारों की क्षिति पर आज पनपता चांचल्य है।
अज्ञान के तिमिर में से ,अब खोजना संवित प्रकाश है,
मुझे शाश्वत मूल्यों की तलाश है।
आत्मवंचना का यह क्रम ,अब शिथिल होना चाहिए,
अनेतिकता के तामस तत्वों को,अब विलीन होना चाहिए।
धर्म केतु से सुशोभित,हमारा पुनीत इतिहास है,
मुझे शाश्वत मूल्यों की तलाश है।

Friday, January 16, 2009

तरानो को तरन्नुम की तलाश है,
बागानों को तबस्सुम की तलाश है,
हौसला बुलंद है , लब्जों में,
नौजवानों को दिलेज़ुनूं की तलाश है।
फिक्र किसे है,मादरे वतन की,खामोश
निगाहों को अश्कों की तलाश है।
अरे कायर हुक्मरानों ,माँ का दामन बचाने,
क्या फिरंगिओं की तलाश है.