Sunday, May 3, 2009

चिंतन.

वेदों की वाणी में,पुराणों की कहानी में ,
स्मृतियों के विधानों में,शास्त्रों के समाधानों में,
बसता रहा है , मेरे भारत का चिंतन।
ऋषियों के तप में,मुनियों के जप में,
क्षत्रियों के बल में,गंगा के पवित्र जल में ,
बहता रहा है मेरे भारत का चिंतन।
ब्राह्मणों के स्वाभिमान में,यशश्वी नृपों के दान में,
सती नारियों के मान में,देश-भक्ति के अभिमान में,
रमता रहा है , मेरे भारत का चिंतन।
काल के प्रवाह में,प्रगति की राह में,
सत्ता की चाह में ,स्वजनों की पनाह में,
क्यों दूषित हो रहा है,मेरे भारत का चिंतन।
हम युग सृष्टा है,भविष्य दृष्टा है,
हम बदलेंगे भारत का चिंतन,
फिर नव प्रभात होगा,भारत का भाग्य भास्कर फिर चमकेगा,
फिर से समृधि की लहर उठेगी,
हर्ष,उत्साह से भर उठेगा हर एक मन,
फिर मुस्कुराएगा मेरे भारत का चिंतन.

1 comment:

  1. बहुत अच्छा उकेरा है तुमने भारत का चिंतन
    स्वीट स्वाति तुम्हारा बहुत बहुत अभिनन्दन

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