Wednesday, February 18, 2009

तलाश.

ना जाने किस रोशनी की तलाश है,
जीवन के अंधेरे रास्तों में भटक कर ,
खो चुके जो अपना वजूद,
उन्हें फिर अपनी तलाश है।
मै नही,मेरा नही,ये जग है झूठा फ़साना,
कौन दोहरा रहा है इसे,
किसे नई कहानी की तलाश है।
बनते बिगड़ते सपनों के साए,
उनमे बिखरती गई जवानी,
सपनों के इस खोये जाल में
एक नई जिंदगानी की तलाश है,
ना जाने किस रोशनी की तलाश है....

Sunday, February 1, 2009

basant

शीत की शिथिलता का हुआ अंत,
नव चेतना की अलख जगाता आया बसंत।
नव-निर्माण की आशाएं ,बदल रही प्राचीन परिभाषाएं ,
जाग रही हैं मन में अभिनव अभिलाषाएं।
भाग्य भास्कर उदित हो कर ,
करेगा राष्ट्र-नभ को ओजवंत,
नव चेतना की अलख जगाता आया बसंत।
सृजन है शिव-शक्ति का प्रणय राग,
समाहित है इसमे सरस्वती का विराग।
ज्ञान सम्मत सृष्टि ही ,
है अनादी-है अनंत।
नव चेतना की अलख जगाता आया बसंत.