मुझे शाश्वत मूल्यों की तलाश है
धर्म-मोक्ष की धरा पर आज अर्थ काम का प्राबल्य है,
शील-संस्कारों की क्षिति पर आज पनपता चांचल्य है।
अज्ञान के तिमिर में से ,अब खोजना संवित प्रकाश है,
मुझे शाश्वत मूल्यों की तलाश है।
आत्मवंचना का यह क्रम ,अब शिथिल होना चाहिए,
अनेतिकता के तामस तत्वों को,अब विलीन होना चाहिए।
धर्म केतु से सुशोभित,हमारा पुनीत इतिहास है,
मुझे शाश्वत मूल्यों की तलाश है।
Wednesday, January 28, 2009
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बहुत ही सुंदर विचार हैं
ReplyDeletenice
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